Mission Aditya L1-Challenges: आदित्य L-1 के सामने काफी चुनौती

Mission Aditya L1-Challenges: आदित्य L-1 के सामने काफी चुनौती

भारत में सूर्य की खोज में मिशन भेजने के साथ ही भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा इससे पहले अमेरिका और रूस यूरोपीयन स्पेस एजेंसी भी ऐसे अभियान भेज चुकी है और इसी अभियान के साथ-साथ आदित्य एल्बम को पृथ्वी से दूर करीब 1500000 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ेगा यह दूरी चांद पृथ्वी के बीच दूरी से भी कहीं ज्यादा है और आप सोच भी नहीं सकते कि इतनी लंबी दूरी हो सकती हैं.

यह जगह लैंग्रेज 1 पॉइंट कहलाती है. दरअसल यह पॉइंट वह जगह है जहां किसी विशेष स्थिति की वजह से यान कम इंधन में भी अपनी कक्षा में घूम सकता है साथ ही इस खास स्थिति में इसके सामने पृथ्वी या चंद्रमा नहीं आते और लगातार सूर्य पर नजर रख सकता है ऐसी कुछ यह जगह है.

आदित्य L-1 भारत का पहला सोलर मिशन है सबसे महत्वपूर्ण लोड विजिबल लाइन एमिशन कोरोना ग्राफ इंस्टीट्यूट आफ एस्ट्रोफिजिक्स ने बनाया है इसमें सेवन पेलोड्स है.

गिरने से 60 लोग इसरो और अन्य संस्थानों ने बनाया है आदित्य L1 स्पेसक्राफ्ट को धरती और सूरज के बीच एल्बम ऑर्बिट में रखा जाएगा यानी सूरज और धरती किस किस टीम के बीच मौजूद पहला लैरिंजीयल पॉइंट इसलिए उसके नाम में L1 जुड़ा हुआ है.

अलवर असल में अंतरिक्ष का पार्किंग स्पेस है जहां कई उपग्रह तैनात है आदित्य L-1 धरती से 1500000 किलोमीटर दूर स्थित इस पॉइंट से सूरज की स्टडी करेगा करीब नहीं जाएगा क्योंकि आपको पता है सूरज काफी गर्म है और यह उसकी गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाएगा जलने की संभावना बन सकती हैं इसलिए दूर स्थित पॉइंट से ही सूरज की स्टडी करके सभी जानकारी ISRO को देने वाला है.

 

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