आम आदमी पार्टी को कहो एक भी सीट नहीं देना चाहती है दिल्ली कांग्रेस ?क्या वजह है इसके पीछे
कांग्रेस ने दिल्ली को लेकर बुधवार को बड़ी बैठक की करीब 3 घंटे तक यह बैठक चलती रहे बाद में पार्टी की नेत्री अलका लांबा ने कांग्रेस के दिल्ली की सभी 7 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है उनका कहने का मतलब यह है कि हम आम आदमी पार्टी को एक भी सीट यहां पर चुनाव लड़ने के लिए नहीं देंगे और आप सबको पता ही होगा कि आजकल विपक्ष में सभी गठबंधन तैयार कर रहे हैं उसी बीच आम आदमी पार्टी हुई उस गठबंधन का हिस्सा बनते नजर आ रही है लेकिन वहीं पर आम आदमी पार्टी के लिए खबर तो अच्छी नहीं लगी होगी कि कांग्रेस दिल्ली की सातों सीटों पर लड़ना चाहती है.
अलका लांबा के बयान के बाद ही विपक्षी संगठन के भविष्य को लेकर भी बहस छिड़ गई दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब भी गठबंधन के सभी घटक दल के नेता के साथ बैठक कर सीट बंटवारे पर चर्चा नहीं करेंगे तब तक ऐसी बातें होती रहेंगी शीघ्र नेताओं की चर्चा के बाद ही पता चल जाएगा कि किस पार्टी को कौनसी सीट मिलेगी चुनाव लड़ने के लिए.
लांबा के बयान का खंडन करते हुए कहा कि ऐसी कोई चर्चा नहीं दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि पार्टी संगठन को मजबूत कर एकजुट होकर चुनाव लड़ेगी हमें ने आम आदमी पार्टी का गठबंधन की कोई चर्चा नहीं की है.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है हम सभी की सत्ता में आम आदमी पार्टी का भी संविधान सभा चुनाव में कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाए लेकिन लोकसभा चुनाव में तस्वीर इसके ठीक उल्टा 2019 के चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी ने सभी 7 सीटें जीती थी.
लेकिन अधिकतर सीटों पर उनका मुकाबला कांग्रेस से ही रहा था कांग्रेस के साथ में से 5 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी जबकि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार 2 सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे थे.
पहले लोकसभा में कांग्रेस रोड शहर के मामले में आम आदमी पार्टी से आगे रहे हमारी पार्टी को दिल्ली के साथ लोकसभा क्षेत्र में कुल वोट 1571787 मिले वहीं कांग्रेस को इससे कहीं अधिक वोट 1953900 हासिल हुए कांग्रेस का वोट शेयर 2.6% जबकि आम आदमी पार्टी का 18.2% वोट मिले थे.